द्वारका में प्रथम रामलीला शुरू



महेन्द्र कुमार गुप्ता 

रामलीला के प्रथम दिन बड़ी ही मनमोहक लीला का मंचन हुआ।  यद्यपि शुरू में पंडाल काफी खाली था लेकिन धीरे धीरे पूरा भर गया।  अपनी व्यस्त दिनचर्या के बावजूद जितना समय इस लीला में श्री राजेश गहलौट, पूर्व उप महापौर दे रहे हैं, देखकर सुनहरा आश्चर्य हुआ।  सोचता हूँ  कि दिल्ली के अन्य पार्षद  भी अपनी जनता के लिए क्या इतना समय देते होंगे!

इस अवसर पर गहलौट जी के अतिरिक्त, दिल्ली पुलिस के सहायक आयुक्त श्री समय सिंह, एस एच ओ श्री सुमन पुष्कर्ण  एवं रामलीला समिति के अन्य सदस्यगण उर्पिस्थत थे।  रामलीला का उद्घाटन करते हुए समय सिंह जी ने सर्वप्रथम गणपति महाराज से इस कार्यक्रम को सफल बनाने का निवेदन करते हुए आशा व्यक्त की कि द्वारका में प्रत्येक वर्ष लीला का मंचन किया जाएगा।


अपने सम्बोधन में राजेश गहलौट जी ने लीला के आयोजन का सम्पूर्ण श्रेय रामलीला समिति को दिया तथा बहुत ही सीमित अवधि में पुलिस को इस आयोजन की आज्ञा देने के लिए उसका धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि रामलीला मनोरंजन के लिए एक नाटक नहीं है वरन् हमें इससे बहुत कुछ सीखना है।  भाई-भाई के प्रेम का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि यद्यपि वनवास केवल श्री राम को हुआ था लेकिन उनके साथ लक्ष्मण भी प्रेमवश वन को गए।  आंतकवाद के खतरे का जिक्र करते हुए उन्होंने जनता का पुलिस से सहयोग का आह्वान किया तथा जनका से आग्रह किया कि वह यदि कहीं कोई संदिग्ध गतिविधि देखें तो पुलिस को तुरन्त सूचित करें।


इसके पश्चात नारद मोह की मनभावन लीला का मंचन हुआ जिसमें दिखाया गया कि भगवान विष्णु किस तरह नारद जी की तपस्या तोड़ने के लिए कामदेव की सहायता लेते हैं।  भव्य सेट पर मंचित इस लीला के सभी पात्रों ने अपने को मंझे हुए कलाकारों के रूप में स्थापित किया।

इस लीला से यह प्रदर्शित होता है कि किस तरह द्वारका धीरे धीरे सम्पूर्ण उप नगरी का रूप ग्रहण करती जा रही है।  इससे पहले अभी तक एक अच्छी लीला देखने के लिए जनकपुरी जाना पड़ता था।  मैं लीला के सफल व  शांतिपूर्ण आयोजन की कामना करता हूँ तथा द्वारकावासियों से अपेक्षा करता हूँ कि वह सपरिवार लीला को अवश्य देंखे तथा आयोजकों एवं कलाकारों की हौसला अफजाई करें।  लीला के अंतिम दिन आधुनिक रावण, कुम्भकरण के रूप में भ्रष्टाचार व आतंकवाद के पुतलों का दहन का कार्यक्रम आयोजकों के सामाजिक व राष्टीय सरोकारो को दर्शाता है।

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