लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती मीरा कुमार ने किया विश्व भोजपुरी सम्मेलन 2012 का उद्घाटन


नई दिल्ली। पूर्वांचल एकता मंच के तत्वावधान में दो दिवसीय विश्व भोजपुरी सम्मेलन -2012 का आयोजन द्वारका सेक्टर -8 स्थित दादा देव मेला ग्राउण्ड में किया गया। सम्मेलन का उद्घाटन लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती मीरा कुमार ने किया। वहां उपस्थित विशाल जनसमुदाय को सम्बोधित करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि भोजपुरी सबसे मधुर और सबको जोड़ने वाली भाषा है। यह कारण है कि भोजपुरी में ‘मैं’ शब्द होता ही नहीं, इसमें केवल ‘हम’ होता है, जो सामूहिकता और मिलजुल कर रहने की भावना को व्यक्त करता है । श्रीमती मीरा कुमार ने कहा कि भोजपुरी भाषा हृदय की भावनाओं को अभिव्यक्त करने की दूसरी अन्य भाषाओं की अपेक्षा अधिक समर्थ है।

भोजपुरी का ‘पियरी’ शब्द हल्दी के रंग के साथ ही सूर्योदय के आकर्षक रंग एवं वातावरण का जो दिव्य भाव प्रकट करता है, वह अन्य भाषाओं में दुर्लभ है। पूर्वांचल एकता मंच के अध्यक्ष श्री शिवजी सिंह द्वारा भोजपुरी को अष्टम अनुसूची में शामिल करने की मांग पर सहमति प्रकट करते हुए श्रीमती मीरा कुमार ने कहा कि भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में अवश्य शामिल किया जाना चाहिए क्योंकि यह इसकी वास्तविक हकदार है। परंतु लोकसभा अध्यक्ष होने के कारण वह स्वयं इससे सम्बंधित प्रस्ताव नहीं ला सकतीं। उन्होंने पूर्वांचल के सांसदों को इस सम्बंध में प्रस्ताव प्रस्तुत की पहल का भी किया आह्वान किया।

सांसद उमाशंकर सिंह ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि भोजपुरी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए सांसदों को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर एक साथ मिलकर प्रयास करना होगा। पूर्वांचल एकता मंच के अध्यक्ष श्री शिवजी सिंह ने ज़ोर देते हुए कहा कि यदि भोजपुरी को शीघ्र ही अष्टम अनुसूची में नहीं शामिल किया गया तो मंच अपनी मांग के समर्थन में यथोचित संघर्ष के लिए भी तैयार है। मंच के संयोजक श्री मुकेश कुमार सिंह ने कहा कि भोजपुरी के साथ सम्मेलनों के साथ ही धरना-प्रदर्शन आदि के लिए भी हमारी संस्था शीघ्र ही एक कार्यक्रम तैयार करेगी।


विश्व भोजपुरी सम्मेलन के साहित्यिक सत्र में एक विचार संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसका विषय था -‘भोजपुरी साहित्य में आलोचना का अतीत, वर्तमान और भविष्य।’ सत्र का उद्घाटन अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन पटना के पूर्व अध्यक्ष श्री गिरिजा शंकर राय ‘गिरिजेश’ ने किया। विषय प्रवर्तन करते हुए भोजपुरी के सुप्रसिद्व साहित्यकार डा. जयकान्त सिंह ‘जय’ ने भोजपुरी में आलोचना विधा पर विस्तार से प्रकाश डाला। इस विषय पर मुख्य अतिथि सूर्यदेव पाठक ‘पराग’, सभाध्यक्ष  डा. गदाधर सिंह, डा. चंद्रभान, डा. प्रमोद तिवारी, डा. गुरुचरण सिंह, डा. जौहर शाफियाबादी आदि अनेक वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किया। संगोष्ठी का संचालन ‘पूर्वांकुर’ पत्रिका के सम्पादक श्री संतोष सिन्हा ने किया।

सम्मेलन के अगले सत्र में ‘भोजपुरी आठवीं अनुसूची में क्यों नहीं’ विषय पर एक परिचर्चा का आयोज किया गया। इसमें भोजपुरी के अनेक जाने-माने साहित्यकारों ने भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित करने की पुरज़ोर को संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित करने की पुरज़ोर वकालत की। डा. गोरख प्रसाद ‘मस्ताना’ की अध्यक्षता में भोजपुरी कवि सम्मेलन का भी आयोजन किया गया। इस अवसर पर देश-विदेश से आए अनेक सुप्रसिद्व भोजपुरी कवियों ने कवितापाठ के द्वारा श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।


सम्मेलन के सांस्कृतिक सत्र में सुप्रसिद्ध फि़ल्म स्टार सुनील शेट्टी ने अपने विशेष अंदाज में बोले गए संवादों से दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। उन्होंने भोजपुरी भाषा को सीखने की इच्छा भी जताई। सुपरस्टार सुनील शेट्टी एवं विशिष्ट अतिथि फ्रंटलाइन ग्रुप के चेयरमैन डा. संजय सिन्हा ने पूर्वांचल एकता मंच की त्रैमासिक पत्रिका ‘पूर्वांकुर’ के लोकसंस्कृति विशेषांक का लोकार्पण किया।


सांस्कृतिक संध्या में भोजपुरी के अनेक सुप्रसिद्ध कलाकारों सर्वश्री भरत शर्मा व्यास, उदित नारायण, मालिनी अवस्थी, सुश्री देवी, अनामिका सिंह, इंद्र सोनाली, रिमझिम पाठक, राधा पाण्डेय, सर्वश्री अजीत आनंद और आलोक पाण्डेय आदि ने भोजपुरी गीत-संगीत की मधुर स्वरलहरी से वहां उपस्थित विशाल जनसमूह को रसविभोर कर दिया। पूरा सम्मेलन भोजपुरी भाषा और संस्कृति के रंग से सराबोर हो गया। इस सम्मेलन में सर्वश्री वी.एन.चैधरी, हरेन्द्र प्रताप सिंह, अमरेन्द्र सिंह, संतोष सिन्हा, संतोष पटेल, सुरेन्द्र सिंह, विजय शंकर सिंह, आनंदी राय, एस.के.दुबे, रवींद्र दुबे, विशाल सिन्हा, के.के.मिश्रा, राजेन्द्र सिंह आदि अनेक गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। सांस्कृति संत्र का संचालन मनोज भावुक एवं श्वेता तिवारी ने किया।

सम्मेलन में दिए गए विशेष सम्मानों में श्रीमती मीरा कुमार को भोजपुरी गौरव सम्मान, सुनील शेट्टी को भिखारी ठाकुर सम्मान एवं भरत शर्मा को महेन्दर मिसिर सम्मान से नवाज़ा गया।


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