महर्षि दयानंद सरस्वती ने दिखाया आत्म उत्थान का मार्ग : राजकुमार जैन


भारत विकास परिषद् , पीतमपुरा शाखा एवं केन्द्रीय आर्य युवक परिषद् के संयुक्त तत्वावधान में महर्षि दयानंद जी के 129वें बलिदान दिवस के उपलक्ष्य में दिल्ली हाट पीतमपुरा में संगीत संध्या "एक शाम ऋषि दयानंद के नाम " का आयोजन किया गया । कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि उत्तरी दिल्ली नगर निगम की महापौर श्रीमती मीरा अग्रवाल एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में भारत विकास परिषद् दिल्ली प्रदेश उत्तर के अध्यक्ष श्री राजकुमार जैन ,विधायक श्री श्यामलाल गर्ग , उत्तरी निगम में नेता सदन डॉ महेंद्र नागपाल , निगम पार्षद श्रीमती ममता नागपाल, महाराजा अग्रसेन इंटरनेशनल हॉस्पिटल के चेयरमैन श्री घनश्याम गुप्ता , महामंत्री श्री सुरेश अग्रवाल एवं नार्थ एक्स वेलफेयर एसोसिएशन के प्रधान श्री मनोहर लाल बुद्धिराजा आदि मौजूद रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता भारत विकास परिषद् ,पीतमपुरा के प्रधान श्री प्रदीप तायल ने की , जबकि मंच का कुशल संचालन केन्द्रीय आर्य युवक परिषद् के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ अनिल आर्य ने की ।

कार्यक्रम का विधिवत शुभारम्भ मुख्य अतिथि श्रीमती मीरा अग्रवाल , विशिष्ट अतिथि श्री राजकुमार जैन आदि ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन से किया । तत्पश्चात आमंत्रित गायक कलाकारों ने महर्षि दयानंद जी को समर्पित एक से बढ़कर एक कर्णप्रिय गीत प्रस्तुत कर बड़ी संख्या में उपस्थित लोगों का मन मोह लिया । अपने संबोधन में श्रीमती मीरा अग्रवाल ने कहा कि आर्य समाज के प्रवर्तक महर्षि दयानंद सरस्वती ने समाज में व्याप्त कुरीतियों , भेदभाव एवं पाखंड को पीछे छोड़ आपसी सामंजस्य एवं भाईचारे के साथ सच्चाई के पथ पर आगे बढ़ने का मार्ग दिखाया । उनके दिखाए मार्ग पर चलकर ही सही मायने में मानव समाज की उन्नति संभव है । 


भारत विकास परिषद् दिल्ली प्रदेश उत्तर के अध्यक्ष श्री राजकुमार जैन ने कहा कि महर्षि दयानंद सरस्वती नवजागरण के सच्चे पुरोधा थे। उन्होंने सामाजिक-धार्मिक क्रांति का शंखनाद किया और एक ईश्वर-एक धर्म एवं एक संस्कृति को ध्येय वाक्य मान समस्त मानव जाति को एकता के सूत्र में पिरोने का कार्य किया । वे विधवा विवाह के प्रोत्साहक एवं सती प्रथा तथा बालविवाह के प्रबल विरोधी थे । उन्होंने वैदिक धर्म का सच्चा स्वरुप बतलाया। सम्पूर्ण मानवजाति को उनकी अनुपम एवं अमूल्य देन "सत्यार्थ प्रकाश " न सिर्फ हिन्दू धर्मानुआइयों बल्कि सभी धर्मों के लोगो के आत्मउत्थान का मार्ग दिखाती है । ऐसे समय में जब विदेशी संस्कृतियां भारतीय संस्कृति पर हावी होने का प्रयास कर रही है ,महर्षि दयानंद सरस्वती के सिद्धांत एवं जीवन आदर्श की प्रासंगिकता काफी बढ़ जाती है । हमें उनके जीवन चरित्र एवं विचारधारा को घर-घर पहुंचानी होगी ।कार्यक्रम के दौरान समाजमें उल्लेखनीय कार्य करने वाली महिलाओं को "आर्य महिला रत्न "अवार्ड से सम्मानित किया गया । इससे पूर्व मुख्य यजमान श्रीमती एवं श्री सुरेन्द्र गुप्ता ,नरेंद्र कालरा , तिलक चांदना एवं अशोक बत्रा द्वारा यज्ञ कार्य संपन्न हुआ ।

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