महिलाओं के खिलाफ हिंसा अब और नहीं - जस्टिस फाउंडेशन


संयुक्त राष्ट्र महासंघ द्वारा घोषित अंतर्राष्ट्रीय महिला विरुद्ध हिंसा उन्मूलन दिवस 25 नवम्बर को नवगठित गैर लाभकारी संगठन जस्टिस फाउंडेशन ने एक गोष्ठी का आयोजन किया , जिसमें बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल हुईं । गोष्ठी में महिलाओं एवं लड़कियों के खिलाफ विभिन्न स्तरों पर जारी हिंसा एवं इसके रोकथाम के प्रति जागरूकता फैलाई गयी ।



गोष्ठी के दौरान जस्टिस फाउंडेशन के प्रेरणास्रोत, राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित ख्यातिलब्ध सामाजिक कार्यकर्ता  श्री राजकुमार जैन ने महिलाओं के खिलाफ जारी हिंसा पर गहरी चिंता जाहिर करते हुए इसके विरुद्ध एकजुटता का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि किसी भी सभ्य समाज में महिलाओं पर अत्याचार कलंक के समान है । नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुमानों के अनुसार प्रतिदिन देश में करीब 50 महिलाओं की अस्मत के साथ खिलवाड़ किया जाता है। करीब 480 महिलाओं को छेड़खानी का शिकार होना पड़ता है। करीब 45 प्रतिशत महिलाओं को पति की मार मजबूरी में सहनी पड़ती है। करीब 19 महिलाएं दहेज की बलि चढ़ जाती हैं , करीब 50 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं हिंसा का शिकार होती हैं एवं हिंसा की शिकार करीब 74.8 प्रतिशत महिलाएं प्रतिदिन आत्महत्या की कोशिश करती हैं । ये आंकडे और भी भयावह हो सकते हैं क्योकि अधिकांश मामलों की शिकायत ही दर्ज नहीं की अथवा कराई जाती। ये आंकडे साफ बयां करते हैं कि शादी से पहले एवं शादी के बाद महिलाओं को कितनी घोर प्रताड़ना झेलनी पड़ती है । ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर क्यों और कब तक महिलाएं अपने ऊपर हो रहे जुल्मो-सितम को चुपचाप सहती रहेंगी ? उन्हें अपने ऊपर हो रहे अत्याचारों के विरुद्ध एकजुट होकर लड़ाई लड़नी होगी , तभी इस पर अंकुश लगाया जा सकता है । श्री जैन ने कहा कि यद्दपि देश में महिला विरोधी हिंसा की रोकथाम के लिए कई कानूनी प्रावधान किये गए हैं ,बावजूद इसके अभी तक आशातीत सफलता नहीं मिल पायी है। इसके लिए हमें सामाजिक प्रयास भी करने होंगे। उम्मीद है कि जस्टिस फाउंडेशन इस दिशा में मील का पत्थर साबित होगा ।


जस्टिस फाउंडेशन की सूत्रधार सुश्री सुरभि ने कहा कि स्त्री जाति पर अत्याचारों का सिलसिला गर्भ से ही शुरू हो जाता है और आएदिन उन्हें गर्भ में ही समाप्त कर देने के मामले सामने आते हैं । सिर्फ कम पढ़े-लिखे अथवा गरीब परिवारों में ही नहीं बल्कि उच्च शिक्षित एवं संपन्न घरों में भी कन्या जन्म पर महिला को दोषी ठहराया जाता है और उसे शारीरिक एवं मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है । जन्म के बाद जैसे -जैसे वह बड़ी होती है उसके ऊपर अत्याचारों का दायरा भी बढ़ता जाता है । वह अपने आपको स्कूल-कालेज, खेल के मैदान एवं सार्वजनिक स्थानों से लेकर घर की चारदीवारी तक असुरक्षित महसूस करती है। आए दिन लड़कियों के साथ छेड़खानी, चेहरे पर एसिड डालने, अपहरण ,रेप एवं उनकी हत्या जैसी जघन्य आपराधिक घटनाएँ सुनाई देती है । दहेज देने में असमर्थ घर की कितनी ही नव-युवतियां शादी के बंधन में बंधने से पहले ही मौत को गले लगा लेती हैं। शादी के बाद कितनी ही महिलाओं को दहेज लोभियों की प्रताड़ना का दंश झेलना पड़ता है। घर की चारदीवारी के अन्दर ही उनपर शारीरिक एवं मानसिक जुल्म ढाए जाते हैं । कई बार तो दहेज लोभी उनकी हत्या तक करने से नहीं कतराते। महिलाओं के ऊपर अत्याचारों का यह सिलसिला जीवन पर्यंत चलता रहता है।


सुश्री सुरभि ने कहा कि किसी भी राष्ट्र-समाज की तरक्की महिला एवं पुरुष दोनों वर्गों के संयुक्त प्रयासों से ही संभव है। दहशत के बीच तरक्की के सपनों में रंग नहीं भरे जा सकते। इसलिए जरुरी है कि महिलाओं को निर्भीक होकर सम्मान सहित जीवन यापन के अवसर मिले। इसके लिए पुलिस को महिला सम्बन्धी घटनाओं पर सख्ती से अंकुश लगाना होगा। जनसाधारण को भी इसमें अपना भरपूर सहयोग देना होगा। सुश्री सुरभि ने कहा कि कोई भी व्यक्ति महिला हितों की रक्षा एवं उनके उत्थान में अपना बहुमूल्य योगदान दे सकता है। जस्टिस फाउंडेशन महिलाओं को उनके कानूनी अधिकारों के बारे में जागरुक करने ,उनके खिलाफ हो रहे अन्याय के खिलाफ आवाज उठाकर उन्हें न्याय दिलाने की कोशिश करने के साथ ही साथ उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की भी कोशिश करती है । विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय विशेषज्ञों का पैनल भी जस्टिस फाउंडेशन से जुड़ा हुआ है । गोष्टी के दौरान बड़ी संख्या में उपस्थित नारी शक्ति के मध्य महिला हिंसा पर आधारित स्लाइड शो का भी प्रदर्शन किया गया । उपस्थित महिलाओं ने जस्टिस फाउंडेशन के प्रयासों की मुक्त कंठ से प्रसंशा करते हुए महिला हितों की रक्षा के लिहाज से इसे एक सार्थक पहल बताया ।

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