कन्या भूर्ण हत्या तथा महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य सम्बंधि अधिकारों पर कानूनी जागरुकता कैम्प का आयोजन किया गया

सोशल डेवलेपमैट वेलफेयर सोसाइटी द्वारा राष्ट्रिय महिला आयोग, भारत सरकार के सहयोग से 2-3 फरवरी को कन्या भूर्ण हत्या तथा महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य सम्बंधि अधिकारों पर दो दिवसीय कानूनी जागरुकता कैम्प का आयोजन राव तुलाराम स्मारक, जाफरपुर कलां में किया गया। कैम्प में पीएनडीटी एक्ट 1994 और दी मेडिकल टर्मिनेशन आफॅ प्रेगनेंसी एक्ट 1971 के अनुसार महिलाओं के अधिकारों, कर्तव्य, अपराध, सजा इत्यादि पर जानकारी कैम्प के भागीदारों की दी गई। कैम्प का फोकस कन्या भूर्ण हत्या बढ़ने कारणों, इनकी रोकथाम तथा समाज में बढ़ते जा रहे भूर्ण असंतुलन के कारण उत्पन्न हो रही समस्याओं की गम्भीरता से आम नागरिकों को अवगत कराना और इन पर विचार-विमर्ष करना रहा। 


सुप्रीम कोर्ट आफ इंडिया के वरिश्ठ अधिवक्ता डा0 के एस भाटी ने बताया कि लिंग जाँच करने व करवाने वाले को कानूनन 3/5 साल की सजा व 10 हजार से 1 लाख रुपए तक का जुर्माना किया जा सकता है। सख्त प्रावधानों पर जानकारी देते हुए कहा कि लिंग जाँच व भूर्ण हत्या के अपराध के होने पर पुलिस बिना वारंट गिरफ्तार कर सकती है, इसमें जमानत नहीं हो सकती न ही किसी भी प्रकार की सुलह हो सकती है। राव तुलाराम अस्पताल के स्त्री रोग विषेशज्ञ डा0 आई पी सिंह ने अपने अनुभव बताते हुए कहा कि ये क्षेत्र दिल्ली का ग्रमीण क्षेत्र कहलाता है यहाँ के लोगों में इस विशय पर जागरुकता न के बराबर है। अकसर लोग भूर्ण हत्या को परिवार नियोजन का हिस्सा मान लेते है लेकिन यह बिलकुल गलत है, गैर कानूनी है। केवल कुछ परिस्थितियों जैसे अगर गर्भ जारी रखने में गर्भवती महिला की जान को खतरा हो, पैदा होने वाला बच्चा अत्याधिक विकृत हो, गर्भ का कारण बलात्कार हो या दम्पति द्वारा अपनाई गई कोई परिवार नियोजन की पद्वति फेल हो गई हो लेकिन हमें इस स्थिति में भी भूर्ण हत्या या गर्भपात से बचना चाहिए क्योंकि बार-बार गर्भपात से महिला के स्वास्थ पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ते है। जिससे महिला को मानसिक व शारीरिक तौर पर गंभीर क्षति पहुँचती है। मिडिया से आई दैनिक जागरण अंग्रेजी की सिनिअर पत्रकार श्रीमति प्रोमा भट्टाचार्य ने कहा - कुछ समय पहले जब खबरे आती थी कि कन्या भूर्ण हत्या गाँवों में अधिक होती है लेकिन असली तथ्य जब खोजे गए तो सामने आया कि इस बुराई ने पूरे देश  में जड़े जमा ली है और गाँवों की अपेक्षा शहरों तथा शहरों के आस-पास के क्षेत्रों में स्थिति अधिक गंभीर है। 


संस्था अध्यक्ष नरेश लाम्बा जी ने बताया कि जनगणना 2011 के अनुसार केवल 0-6 साल के बच्चों में लगभग 30-40 लाख बालिकाओं की कमी है और ये असंतुलन इसी तरह बढ़ता रहा तो आने वाले समय में बहुत ही भारी समस्या खड़ी हो जाएगी। लाम्बा जी ने इसके दुश्परिणामों पर चिंता प्रकट करते हुए कहा कि लगातार बढ़ रहे महिलाओं के साथ सेक्सुअल अपराधों के रुप में अब ये दुश्परिणाम हमारे सामने आने लगे है। सामसजिक असुरक्षा तथा महिलाओं के प्रति सारी उम्र देनदारियाँ और ब्याह शादी के अनावश्यक खर्चे व दहेज का बढ़ता हुआ लालच इस बुराई का मुख्य कारण बन रहा है। पारम्पारिक बेफिजूल की रस्में, शगुन के नाम पर नगद व अन्य आभूषण  कपडे़ इत्यादि लेने-देने का चलन लड़की के परिवार की आर्थिक कमर तोड़ रहे है। हमें इनका त्याग करना होगा और सिंपल मेरिज पद्वति को अपनाना होगा। 


कैम्प में लगभग 150 भागीदारों के साथ जवाहर नवोदय विद्यालय से कक्षा 9 से 12 तक के 35 छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। इन छात्र-छात्राओं ने जब इस समस्या की गंभीरता व दुश्परिणामों के बारे में जाना तो कैम्प के दुसरे दिन काफी गंभीरता से कैंम्प में आई अन्य महिलाओं से लड़कियों को बचाने की भावनात्मक अपील की गयी । अन्य प्रवक्ताओं में जवाहर नवोदय विद्यालय के प्रमुख श्री कालका प्रसाद, रिटायर्ड लेक्चरार श्री हरिओम गुप्ता व मुख्य अतिथि श्री चरण सिंह यादव, षिक्षा अधिकारी ने विशय पर अपने अनुभव व अन्य जानकारियाँ कैम्प के भागीदारों से बांटी। श्री नरेश लाम्बा जी ने बताया कि उजवा के श्री महेन्द्र डागर जी के साथ स्वंय मैने तथा अन्य टीम के सदस्यों के द्वारा आस-पास के लगभग सभी गाँवों में लोगों से मिलकर कैम्प में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया था। आप लोग जो कार्यक्रम में उपिस्थत है जिस दिन हम इस समस्या को रोक देंगे उस दिन आपको इस बात पर गर्व होगा कि बेटी बचाओं अभियान की सफलता के हम भी भागीदार है और हमें पूरा विष्वास है कि आप और हम मिलकर इस अभियान का सफल कर देंगें। कैम्प में जवाहर  नवोदय विद्यालय के छात्र-छात्रोओं के अलावा गाँव उजवा, मलिकपुर, गोपाल नगर, शाहबाद मौहम्मद पुर, पालम, झुलझुली, ईसापुर व नजफगढ़ की महिलाओं व पुरुषो ने भाग लिया।

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