कलयुग का जीवन

पिंकी कौशिक  

हर ख़ुशी है लोगों के दामन में, पर एक हंसी के लिए वक्त नही
दिन रात दौड़ती दुनिया में , अपने प्यार के लिए वक्त नही

माँ की लोरी का अहसास तो है , पर माँ को माँ कहने का वक्त नहीं
सारे नाम मोबाइल में हैं पर रिश्तों के लिए वक्त नही

गैरों की क्या बात करें, जब अपनों के लिए वक्त नहीं
आँखों में हैं नींद बड़ी, पर सोने का वक्त नही

दिल है ग़मों से भरा हुआ, पर रोने का भी वक्त नही
पैसों की दौड़ में ऐसा दौड़ा , की थकने का भी वक्त नही

पराये अहसानों की क्या कद्र करें, जब अपने सपनों के लिए वक्त नही
बता ऐ जिंदगी क्या होगा, कि हर पल मरने वालों को जीने के लिए भी वक्त नही

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