क्या दिल्ली को MIT, USA जैसा एक अंतर्राष्ट्रीय शिक्षण संस्थान की आवश्यकता नही है?

रीता झा
मोब : 9868077345

दिल्ली देश का दिल है। अभी 4 दिसम्बर 2013 को दिल्ली सरकार की अग्नि-परीक्षा होने वाली है । आने वाले दिनों में भारत सरकार की भी अग्नि-परीक्षा होगी । यहाँ के मतदाताओं पर एक बड़ी जिम्मेदारी आ पड़ी है अपनी सरकार को चुनने की । पिछले तीन बार से श्रीमती शीला दीक्षित जी दिल्ली की मुख्यमंत्री हैं । ऐसा कहा जाता है कि पिछली बार यहाँ के युवकों के कारण श्रीमती शीला दीक्षित जी को प्रदेश सरकार का कमान फिर से मिला था । इसके साथ ही भाजपा को भी एम सी डी में भारी बहुमत मिला था । एक तरफ दिल्ली प्रदेश की सरकार कांग्रेस के पास थी तो एम सी डी में भाजपा का बहुमत था । इस बार एक नई पार्टी - आम आदमी पार्टी (AAP) भी दिल्ली में अपनी दावेदारी पेश कर रही है । स्वागत है ।

दिल्ली की सभी पार्टियों के घोषणा पत्रों को ध्यान से देखने पर यह बात तो स्पष्ट है कि सभी पार्टियों ने बिजली, पानी, सफाई को मुख्य मुद्दा बनाया हुआ है । यह तो एक सतत् प्रक्रिया है, ये मुद्दे तो पहले भी थे और आगे भी रहेंगे। इसमें नया तो कुछ नही है । यहाँ की जनता इससे कुछ अलग चाहती है क्योंकि यहाँ की आवश्यकताएं तथा प्राथमिकतायें अन्य प्रदेशों की आवशकताओं तथा प्राथमिकताओं से अलग है । इस पर पार्टियों ने गम्भीर चिन्तन नही किया है ।

दूसरी तरफ एक खबर है जिसमें आई आई टी देहली को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 223वें रैंक पर रखा गया है । अर्थात् हमारे देश की सर्वोत्तम तकनीकी संस्था विश्व स्तर पर 223 वें नम्बर पर है । यह एक गंभीर मामला है परंतु इससे भी गंभीर मामला यह है कि हमारे देश की राजनैतिक पार्टियों ने इसे अनदेखी कर दिया है । बेशक यह केन्द्र सरकार का मामला है परंतु इसमें भी सुधार की काफी जरूरत है । अगर बिहार जैसे प्रदेश में ‘नवनालंदा’ जैसे अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय बन सकते हैं तो दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय स्तर का एक तकनीकी संस्थान क्यों नही बन सकता है? पूरे भारतवर्ष में तकनीकी शिक्षा प्राप्त करने की एक लहर सी आई है । परंतु किसी भी प्रदेश की सरकार ने इसके बारे में अपने घोशणा पत्र में इस मुद्दे को उचित स्थान नही दिया हैं । चूँकि दिल्ली देश की राजधानी भी है और यहाँ पर देश के हरेक कोने से तथा विदेशों से भी विद्यार्थी पढ़ना चाहते हैं, अतः दिल्ली सरकार को इस मुद्दे की अनदेखी नहीं करनी चाहिये । अभी हाल में भारत रत्न प्रो. सी.एन.आर. राव ने भी इस बात को उजागर किया है कि 1000 रूपये की मांग करने पर भारत सरकार से 100 रूपये ही आर एंड डी के लिये मिलते हैं और वह भी ठीक समय पर नहीं। इस पर हमें आत्म मंथन करना चाहिये । अच्छा होता यदि इस बार के दिल्ली प्रदेश के चुनावी घोषणा पत्र में सभी पार्टियाँ इस पर एकजुट होकर घोषणा करतीं कि हम दिल्ली को MIT, USA जैसा अंतर्राष्ट्रीय शिक्षण संस्थान देंगे तो हमारे दिल्ली वासियों के लिये खासकर के दिल्ली में पढ़ने वाले 15-29 आयुवर्ग ( 2001 की संख्या के अनुसार) वाले 42 लाख नवयुवकों के लिये एक नायाब तोहफा होता । इससे हमारे देश तथा विदेश के भी विद्यार्थी लाभान्वित होते तथा दिल्ली प्रदेश की एक अंतर्राष्ट्रीय पहचान भी होती, खासकर शिक्षा जगत में। अतः देश की सभी पार्टियों के अध्यक्षों से अपील है कि इस मुद्दे को कम से कम आने वाले लोक सभा के चुनाव के घोषणा पत्र में मुख्य स्थान दें ।

शिक्षा से सम्बन्धित एक और मुद्दा जो दिल्ली के विद्यार्थियों के लिये है वह यह कि 80 से 90 प्रतिषत नम्बर लाने वाले दिल्ली के बच्चों को मनचाहे कालेज तथा मनचाहे विषय में दाखिला नहीं मिल पाता है । आगे की पढ़ाई के लिये उन्हें या तो किसी अनचाहे विषयों में दाखिला लेना पड़ता है या दिल्ली से बाहर जाना पड़ता है । यह दुखद स्थिति है। दिल्ली विश्वविद्यालय में सभी विषयों की सीटों की संख्या भी बढ़नी चाहिये तथा नये कालेजों की भी स्थापना होनी चाहिये जिससे बाहर से आने वाले बच्चों के साथ-साथ दिल्ली के बच्चों को भी मनचाहे विषयों में दाखिला मिल सके तथा दिल्ली से पढ़ने वाले बच्चों को प्राथमिकता के आधार पर दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिला मिलनी चाहिये ।

एक बात और है - लड़कियों की शिक्षा के बारे में । जहाँ तक दिल्ली की बात है, तो जब हमारी दिल्ली में दसवीं तथा बारहवीं में लड़कियों का परीक्षा फल लड़कों से अच्छा होता रहा है तो ये लड़कियाँ फिर ग्रेजुऐशन या पोस्ट ग्रेजुएशन स्तर पर पीछे क्यों हो जाती हैं? इसके कारणों का पता दिल्ली सरकार को लगाना चाहिये तथा इसके लिये आवश्यक कदम उठाकर इस स्थिति में सुधार लानी चाहिये।

चुनाव लड़ने वाले सभी राजनैतिक दलों से आग्रह है कि उपर्युक्त बिन्दुओं पर विचार मंथन कर इन्हें अपने-अपने घोषणा पत्रों में प्राथमिकता दें ।

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