मादीपुर स्टेडियम का काम अधूरा, सितम्बर में काम होना था पूरा


अशोक कुमार निर्भय

दक्षिणी दिल्ली नगर निगम द्वारा प्रस्तावित मादीपुर खेल स्टेडियम को बनाने वाली कंपनी ने तय सीमा से दो महीने ऊपर बीत जाने के बाद भी अभी तक मादीपुर खेल स्टेडियम का काम पूरा नहीं किया है। देरी का कारण न ही नेताओ के पास है न निगम के अफसरों के पास और न ही ठेकेदार कंपनी सुशील कंस्ट्रक्टसन कंपनी के पास है। पांच करोड़ से भी अधिक लगत से बन रहे इस मादीपुर खेल स्टेडियम का आलम यह है की आवारा पशु गांय, सूअर और असामाजिक तत्वों का यह स्टेडियम अड्डा बन चूका है । घटिया निर्माण सामग्री उपयोग हो रही है। मोटर लगाकर भू जल शोधन किया गया जिसकी अनुमति तक नहीं ली गयी भू जल मंत्रालय भारत सरकार से, गौरतलब है की यह स्टेडियम को पास कराने और बजट लाने की होड़ में कांग्रेस के तत्कालीन संसद सदस्य महाबल मिश्रा और तत्कालीन विधायक मालाराम गंगवाल ने यह दावा किया था। वही तत्कालीन निगम पार्षद और अब विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा का कहना है की यह प्रस्तावित मादीपुर खेल स्टेडियम उन्होंने निगम से पास करा कर यहाँ के निवासियों को समर्पित किया है। कांग्रेस जब निगम में है ही नहीं तो फिर कैसे सफाई से झूठ बोलकर इसका श्रेय लेना चाहती है। वही इस खेल स्टेडियम के पूरा होने पर यहाँ एथलेटिक्स ,वालीबाल , जिम के साथ साथ अन्य सुविधा उपलब्ध कराए जाने की भी योजना है।

निर्माण में देरी पर मादीपुर रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष जितेंदर यादव और उपाध्यक्ष हरिओम यादव ने कहा है की यह खेल स्टेडियम मादीपुर गांव की पैतृक भूमि पर बना है और यहाँ दिल्ली सरकार की भगीदारी योजना के अंतर्गत एसोसिएशन लोगो के वेलफेयर के लिए चुनी हुए एकमात्र संस्था है इस खेल स्टेडियम संचालन पी पी पी योजना के तहत हमारी आरडब्ल्यूए को सौंपा जाना चाहये। देरी से निर्माण होने पर उन्होंने कहा की निर्माता कंपनी पर सख्त कार्रवाई करते हुए जुर्माना लगना चाहये और इस कंपनी को काली सूची में डाला जाना चाहिये। पूर्व निगम पार्षद सुरजन लाल पंवार ने कहा की देरी के कारण जनता का पैसा और समय बर्बाद हो रहा है। खेल भी नहीं हो रहे है ऐसे में वर्तमान निगम पार्षद ने कोई प्रयास नहीं किये यह चिंता का विषय है। जनता को इस बार सोचना पड़ेगा की जनता काम के प्रति लापरवाही बरतेंगे तो जनता सबक सिखाएगी। वही निगम पार्षद कई कोशिशों के बाद भी अपना पक्ष रखने के लिए उपलब्ध नहीं हो सकी। 

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