फिल्म समीक्षा - बदलापुर: डॉन्ट मिस द बिगनिंग

चन्द्रकांत शर्मा  

कलाकार: वरूण धवन, नवाज़ुद्दीन सिद्दकी, यमी गौतम, हुमा कुरैशी, दिव्या दत्ता, विनय पाठक, राधिका आप्टे
निर्माता: दिनेश विजान व सुनील लुल्ला
कहानी: श्रीराम राघवन व अरिजीत बिश्वास
निर्देशक: श्रीराम राघवन
संगीत: सचिन-जिगर
गीतकार: दिनेश विजान व प्रिया

डायरेक्टर श्रीराम राघवन ने अभी तक थ्रिलर फिल्में ही बनाई है। फिल्म ‘एक हसीना थी’, ' जॉनी गद्दार', 'एजेंट विनोद' व अब बदलापुर में भी उन्होंने थ्रिलर का ही पुट रखा है। इस फिल्म की शुरूआत में एक कहावत लिखी आती है ‘एक्स फॉरगेट बट ट्री रिमेम्बर्स’ यानि कि कुल्हाड़ी तो भूल जाती है परन्तु जो पेड़ कटता है, वह हमेशा याद रखता है। इसी कहावत से ही आप फिल्म की कहानी का अंदाजा लगा सकते हैं। हालांकि फिल्म इंडस्ट्री में पहले भी बदले की भावना से ओत-प्रोत कई फिल्में बन चुकी है परन्तु इस फिल्म का जोनर थोड़ा अलग है जोकि कुछ खास दर्शकों को ही पसंद आएगा।

कहानी: फिल्म की शुरूआत होती है एक बैंक डकैती से, जिसे अंजाम देते हैं लायक (नवाजुद्दीन सिद्दकी) व हरमन (विनय पाठक)। डकैती करने के बाद जैसे ही दोनों बैंक से बाहर निकलते हैं, मिशा (यमी गौतम) की गाड़ी में जबरदस्ती बैठ जाते हैं। आपसी झड़प के दौरान मिशा का बच्चा गाड़ी से बाहर गिर जाता है और मिशा को गोली लग जाती है। मिशा के पति रघु (वरूण धवन) को जैसे ही इस घटना का पता चलता है, वह अस्पताल पहुंचता है परन्तु वह अपने बीवी व बच्चे को खो देता है। रघु इस घटना से बुरी तरह से टूट जाता है और अब उसकी जिंदगी का मकसद है केवल बदला। अब देखना यह है कि क्या रघु बदला ले पाता है?

अभिनय: अभिनय की अगर बात करें तो नवाजुद्दीन सिद्दकी सब पर भारी पड़े हैं। उनके किरदार में कई तरह की शेड्स हैं। हालांकि फिल्म में हीरो वरूण धवन हैं परन्तु फिल्म देखने के बाद आपको नवाजुद्दीन ही हीरो लगेंगे। वरूण धवन का काम भी सराहनीय है। इस फिल्म से वो अपनी चॉकलेटी इमेज से बाहर निकले हैं परन्तु फिल्म में जो समय का अंतराल दिखाया है, वरूण उस हिसाब से ज्यादा उम्र के नजर नहीं आते। यमी गौतम, दिव्या दत्ता व विनय पाठक का काम भी काबिल-ए-तारीफ है। हुमा कुरैशी अपने रोल को ज्यादा असरदार बना सकती थीं, जिसमें वो नाकामयाब रहीं। राधिका आप्टे ने भी अपना किरदार शत प्रतिशत निभाया है।

संगीतः सचिन-जिगर का म्यूजिक कर्णप्रिय है। गीत ‘जी करदा’ पहले से ही श्रोताओं में अपनी जगह बना चुका है।

डायरेक्शन: श्रीराम राघवन का डायरेक्शन अच्छा है परन्तु फिल्म के कई हिंसात्मक व सेक्स दृश्यों की वजह से यह फिल्म एक खास क्लास के दर्शक वर्ग को ही बांधने में कामयाब हो पाएगी।

निष्कर्ष: यह एक एडल्ट फिल्म है, जिसके कई दृश्य काफी हिंसक है। अगर आप नाबालिग है तो इस फिल्म को न देखें। हां, अगर आप वरूण धवन के फैन है या नवाज़ुद्दीन सिद्दकी की बेहतरीन एक्टिंग देखना चाहते हैं तो यह फिल्म आपके लिए है।

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