ये ही है, मौक़ा -ए -इज़हार , आओ सच बोलें
सुकूत =ख़ामोशी, क़द्रों=मूल्यों
मौक़ा -ए -इज़हार=कहने काअवसर
--क़तील शिफ़ाई
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उन्हें , शराफ़त -ओ - इंसानियत सिखाना है
अहेद=संकल्प , अरबाब- ए -जंग=जंग करनेवाले
-- अली सरदार जाफ़री
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इंसान को इंसान से जुदा देख रहा हूँ
-- साबिर दत
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मिलजाए काश ऐसा बशर , ढूंढ़ते हैं हम
नाज़ = गर्व , बशर=इंसान
--आजिज़मातवी
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हिन्दू नहीं रहा , वो मुसलमाँ नहीं रहा
--आज़िमकोहली
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इस सिम्त भूल कर भी कोई देखता नहीं
रूपोश=खोना , सिम्त=तरफ़
-- अरशद मीनानगरी
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जो हैं इंसानियत के सख़्त दुश्मन
--महबूब राही
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इंसानियत के नाम से, बेज़ार कर दिया
ख़ुदग़र्ज़ी =स्वार्थ , बेज़ार करना =ऊबना
---फ़सीह अकमल
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इंसानियत के हुस्न से, वो महरूम हो गया
महरूम=वंचित
--नदीम अरशद
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आदमी को भी मयस्सर नहीं इन्सां हिना
मयस्सर=उप्लब्ध
-- मिर्ज़ा ग़ालिब
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जो भी इंसान , इंसान के काम आएगा
आला मक़ाम= ऊंचा स्थान
-इनायत अली इनायत
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अना को छोड़ कर इंसान, गर इंसान हो जाए
अना=अहं , गर =अगर
-- हुसैन काविश
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कब से मैं नक़ाबों की तहें खोल रहा हूँ
नक़ाब =पर्दा
--मुगीसुद्दीन फ़रीदी
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शाम से पहले परिंदे सो गए
बे-चारगी =बे-बसी , परिंदे=पक्षी
--इफ़्फ़त ज़र्रीं
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हमने इन्सां में, इन्सां को, मरने न दिया
-- राम रियाज़
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नहीं मालूम, लेकिन हैं कहाँ पर
-- सलीम अमरोहवी
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देखा है हकीकत को , हकीकत की नज़र से
-- चाँद कलवी
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जब जब इसे सोचा है ,दिल थाम लिया मैंने
इंसान के हाथों से ,इंसान पे जो गुज़री है
-- जगन्नाथ आज़ाद
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सब से पहले वो इंसान है
--बी एस जैन जौहर
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