ऐ श्याम तेरी बंसी मुझे घायल करती है , मुस्कान तेरी मीठी मुझे कायल करती है ।
यह सोने की होती तो, ना जाने क्या होता , जब बाँस की होकर इतना इतराती हैँ ।
तुम गोरे होते तो, ना जाने क्या होता, जब तेरी सांवली सुरत पर दुनिया दीवानी है ।
तुम सीधे होते तो ना जाने, क्या होता, जब तेरी बांकी चाल पर दुनिया मरती है ।
कभी रास रचाते हो, कभी बंसी बजाते हो, कभी माखन खाने की भी मन में आ जाती है |
ऐ श्याम तेरी बंसी मुझे घायल करती है, मुस्कान तेरी मीठी मुझे कायल करती है ।
- मधुरिता