आपको यह जानकारी देते हुए बडी खुशी हो रही है कि पहली बार हमारे देश में आयोजित अन्डर-17 फीफा फूटबाल वल्र्ड कप 2017 का कल दिनाॅंक 06 अक्टूबर 2017 का आयोजत किया गया जिसमें हमारे भारतीय फुटबाल टीम ने भाग लिया व भारत का पहला मैच अमेरिका की टीम जो वल्र्ड रेैकिंग में 10 वें नवम्बर में आती है व हमारे भारतीय टीम जिसका अभी किसी भी फुटबाल वल्र्ड रेैकिंग में नही आती के बीच हुआ इसलिए उसके हिसाब ये भारतीय टीम ने अपना अच्छा खेल का प्रर्दशन किया और वल्र्ड की एक अच्छी टीम से 3-0 से हार गई जिसका मुख्य कारण हमारे भारतीय खिलाडियों की हाईट, बौडी , स्टेमिना, फुटबाल में स्किल तथा अनुभव की कमी थी। 

इसलिए भारत को अगर फुटबाल में सुधार लाना है तो ग्रासरूट मंें काम करना होगा जिसके लिए 6 साल से लेकर 17 साल तक के खिालाडियों के लिये नर्सरी बनानी होगी व उनके लिए अच्छे कोच , अच्छा ग्राउंन्ड, अच्छी डाईट, रहने की उचित व्यवस्था का होना अनिर्वाय है तभी जाकर हम 5 यं 10 साल में वल्र्ड लेबल के खिालाडियों की बराबरी कर सकते है

फिर भी आज हमें खुशी हुई हो रही है कि भारत में फुटबाल की लहर आ गयी है और शीध्र ही हमारी भारतीय फुटबाल टीम को उचित मुकाम तक पहुंचाने में मदद करेगा व सरकार भी इसमें अधिक घ्यान देगी तभी हम हासिल कर सकेंगे

आज मुक्षे भी अत्यन्त खुशी महसुस हो रही है कि अल्मोडा निवासी उत्तराखंड राज्य से मेरा चेला जितेन्द्र सिंह जो भारतीय टीम में उपकप्तान की भूमिका में मुख्य स्टोपर में खेल कर सबका दिल जीत रहा है जो कि गरीबी से निकल कर इस मुकाम तक पहुचा है यह अपने आप में बहुत बढी उपलबिध है

मेरे कोच होने के नाते मैं कल जब मैंच से पुर्व जितेन्द्र से मिला तो उसने मेेरा अर्शिवाद लिया और मेंने उसके उज्जवल भविष्य की कामना की और यह देख उनकी माता जी श्रीमती हेमा देवी के आंखो में खुशी के आशूं छलक पडे कि आज उनके बेटे ने उनका मान सम्मान समस्त भारत में उन्हे गोरर्वान्वित किया है हेमा देवी ने उनके बचपन के कोच विरेन्द्र सिंह रावत को भी बधाई दी और कहा कि आपके मार्ग दर्शन से जितु इस मुकाम तक पहुची है।

देहरादून फुटबाल ऐकेडमी के संस्थापक अध्यक्ष एंव हैड कोच विरेन्द्र सिंह रावत ने बताया कि मेने जितेन्द्र सिंह को बचपन में उसको 2011 से 2012 तक कोचिंग दी थी व जीतू को मेने शुरू से मिड फिल्ड की भुमिका में खेलने की कोचिंग दी थी लेकिन अभी अन्डर-17 फीफा फूटबाल वल्र्ड कप 2017 के कोच ने जीतू को स्टोपर में खेलने के लिये बोला फिर भी स्टोपर की भूमिका में जीतू ने बहुत ही अच्चे खेल का प्रर्दशन किया
जो पहला गोल हुआ और जो पैनंल्टी दी गयी वो नही थी अमेरिका का खिलाडी जानबुक्ष कर गिरा था और उसक फायदा उसने उठाया और रेफरी की बहुत बढी गल्ती थी उसने पैनंटी दे दी । भारतीय टीम ने अपने स्टेन्र्डढ के अनुसार सही खेली। उम्मीद करते है कि आगे के दो मैंच अच्छा खेलगी।

कोच विरेन्द्र सिंह रावत ने बताया कि आज जितेन्द्र सिंह का परिवार गरीबी में जीवन यापन कर रहा है व जीतू का बडा व छोटा भाई भी फुटबाल में ही अग्रसर है पिताजी योगेन्द्र सिंह बिष्ट प्राईवेट में चैकिदार है और माता हेमा देवी सिलाई का काम करती है लेकिन अभी तक राज्य व केन्द्र सरकार से अभी तक कोई भी आर्थिक सहयता प्राप्त नही हुई व किराये के मकान में जीवन यापन कर रहे है 10,000/- प्रतिमाह रू से समस्त धर का खर्चा चलता है

विरेन्द्र सिंह रावत ने बताया कि मेरे द्वारा तैयार हजारो खिलाडी निशुल्क कोचिंग देकर उत्तराखण्ड और भारत का का मान बढा रहे है मुक्षे ही आज तक उत्तराखण्ड सरकार और ना ही भारत सरकार से आर्थिक मदत मिली है कर्ज लेकर उत्तराखण्ड के खिलाडियों का भविष्य आज भी बना रहा हूं।

जबकि उनका शिष्य भारत टीम में अन्डर 17 फिफा वल्र्ड कप खेल रहा है उसके परिवार को उत्तराखण्ड सरकार एंव भारत सरकार ने आज तक कोई भी आर्थिक मदत नही कि है तो केैसे हम खिलाडियों को मार्गदर्शन देगे
अंत उत्तराखण्ड कोच ने बताया है कि अगर हमें उत्तराखण्ड सरकार और भारत सरकार आर्थिक सहयोग प्रदान करे तो उत्तराखण्ड औ र भारत कि तस्वीर बदल जायेगी फुटबाल के क्षेत्र मै।

Labels: , ,