‘‘सिया के राम‘‘ में रामायण बिल्कुल अलग दृष्टिकोण से दिखाया गया: मदिराक्षी


छोटे परदे पर अब तक रामायण कई बार दिखाया जा चुका है। लेकिन स्टार प्लस पर प्रसारित होने वाले शो ‘‘सिया के राम‘‘ में रामायण बिल्कुल अलग दृष्टिकोण से दिखाया जाएगा। इस बार माता सीता के नजरिये को उजागर किया जाएगा। ‘‘सिया के राम’ में सीता की महत्वपूर्ण भूमिका में बिल्कुल नया चेहरा मदिराक्षी नजर आने वाली हैं। उन्होंने अब तक केवल एक दक्षिण की फिल्म की है। मदिराक्षी ने इस शो के बारे में प्रेमबाबू शर्मा से की बातचीत

‘‘सिया के राम‘‘ टीवी पर आये रामायण के दूसरे संस्करणों से कितना अलग है?
सीता और राम की कहानी हमारी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा रहे हैं। पूरी दुनिया की सभ्यताओं को इसने प्रभावित किया है। कर्त्तव्य, सम्मान और पारिवारिक जिम्मेदारियों का इस शो का संदेश आज के समय में भी उतना ही प्रासंगिक है। हालांकि इस कहानी के सारे संस्करण राम के नजरिये से हैं और राम सीता की इस कहानी में सीता के दृष्टिकोण को शायद ही कहीं जगह मिली हो। लेकिन पहली बार कहानी सीता के नजरिये से कही गयी है जो इसके पहले सुनी नहीं गयी। कहानी सीता को एक मजबूत और स्वतंत्र महिला के रूप में दिखायेगी। सीता समानता और शिक्षा में विास रखती है और उनका अपना विचार है।
क्या शो का फोकस सिर्फ सीता के किरदार पर रहेगा?
सीता यहां राम की सच्ची अर्धागिनी और एक मजबूत इरादों व सोच वाली महिला के रूप में दिखायी देंगी। उनका किरदार आज की हर महिला के लिये प्रासंगिक होगा। यह शो सीता के दृष्टिकोण से कही जा रही एक आदर्श दम्पति सीता और राम के रिश्ते की कहानी है। कहानी जितनी राम की है उतनी ही सीता की भी है। सबसे जरूरी कि शो में ऐसे बहुत से उदाहरण आएंगे जो आज के समाज में भी प्रासंगिक हैं।

सीता की भूमिका के लिये तैयारी किस तरह की ?
हम रामोजी फिल्मसिटी हैदराबाद में शूटिंग कर रहे हैं जो लंबे समय से मेरा अपना शहर है। सीता की भूमिका निभाना आसान नहीं है। अपनी भाषा से लेकर अपने हावभाव तक मुझे बहुत कुछ ध्यान में रखना पड़ता है। मैं अपना फोकस हाई रखने के लिये मेडिटेशन भी कर रही हूं। मैं सीता पर बहुत सी किताबें पढ़ रही हूं और उन पर अपनी रिसर्च भी कर रही हूं। यह शो मुझे अपनी जड़ों से जोड़ रहा है और मुझे इससे ज्यादा कुछ नहीं चाहिये।

लोग टीवी से फिल्मों की तरफ आते हैं और आप फिल्मों से टीवी की तरफ आयीं? क्या यह सही फैसला है?

‘‘सिया के राम’ अब तक का मेरा सबसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है। स्टार प्लस और ट्राएंगल फिल्म कंपनी के साथ शुरुआत करना किसी के लिये भी सपना हो सकता है और मैं खुश हूं कि उन्होंने मुझे चुना। मैं खुशकिस्मत रही हूं कि मुझे ऐसी शुरुआत मिली जो सबको नहीं मिलती। एक कलाकार के तौर पर आपको ऐसे प्रोजेक्ट चाहिये होते हैं जो आपको कई स्तरों पर चुनौती दे सकें। फिल्में हों या टीवी, मैं अच्छा काम करना चाहती हूं और दुनिया को अपनी प्रतिभा दिखाना चाहती हूं। इसके लिये सिया के राम से बेहतर मंच नहीं हो सकता।
इस भूमिका को निभाने की चुनौतियां क्या हैं?
सबसे बड़ी चुनौती तो सीता की तरह होना है। वह एक आदर्श महिला, अपने मां बाप की एक आदर्श बेटी और आदर्श पत्नी थीं। सीता जैसे होने के लिये और उसे समझने के लिये मैं काफी मेहनत कर रही हूं, जिससे किरदार में वास्तविकता झलके।

ऐसा क्यों लगता है कि सीता आज की महिलाओं के लिये प्रासंगिक हैं?
आज जब लोग महिला सशक्तीकरण, लड़कियों की शिक्षा और समानता की बात कर रहे हैं तो हमें पीछे जाकर यह देखने की जरूरत है कि ये मूल्य हमेशा से हमारे समाज का हिस्सा रहे हैं। जहां ज्यादातर लोग सीता को भद्र महिला के रूप में जानते हैं। कम ही जानते हैं कि वह वाकई किस तरह की थीं। सीता शिक्षा में विास करती थीं और हमेशा अपने विचार रखती थीं। वह अपने विचारों पर अडिग थीं और समानता के पक्ष में थीं जैसे कि आज की ज्यादातर स्वतंत्र और प्रगतिशील महिलाएं होती हैं। आज की महिला के लिये पूरा आसमान उसका है। वे काम कर रही हैं और अपनी जिंदगी का लुत्फ ले रही हैं। सीता आज के समय में भी प्रासंगिक हैं और हम सीता की प्रेरक कहानी को आज की महिलाओं के सामने पेश कर उनका सम्मान करना चाहते हैं। आज की महिलाएं सिया के राम से कई स्तरों पर जुड़ाव महसूस करेंगी।

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