मोदी के मन की बात है कहती फिल्म ‘‘चकल्लसपुर‘‘

-प्रेमबाबू शर्मा

प्रधानमंत्री मोदीजी का देश पर और देशवासियों पर कितना प्रभाव पड़ा है, यह बात किसी से छिपी नहीं है. आज न केवल देश में, बल्कि पूरे विश्व मे मोदी जी की छाप पड़ी है. मोदी-मोदी के नारों और उनके कार्यों का असर आज देशवासियों पर कितना पड़ा है यह किसी से छुपा नहीं है. इसी बात से प्रभावित होकर लेखक निर्देशक रजनिश जयसवल ने फिल्म चकल्लसपुर का निर्माण किया है. एक ऐसा गांव जो दो राज्येां के बीच फंँस कर अपना अस्तित्व खो चुका है. जन सुविधाओं की आशा में निराशा ही हाथ लगती है.

किसानों की आत्महत्या और सरकारी बाबुओं की पोल है -चकल्लसपुर
फिल्म चकल्लसपुर एक ऐसे गाँंव की कहानी है जो बिहार और उत्तर प्रदेश की सीमा पर है. इस गांव को और गांव वासियों को, कोई भी राज्य सरकार किसी भी तरह की सहायता उपलब्ध नहीं कराती. जब गांँव वाले किसी सहायता की मांग करते हैं, तो दोनेां ही सरकारें एक दूसरे को ज़िम्मेदारी बताकर अपना पल्ला साफ झाड़ लेती हैं और गांववाले इसे अपना भाग्य समझ कर चुप्पी साध लेते है.

इसी गांव का सीधा-साधा बिल्लु केेवल दस साल की उम्र में गांव छोड़ कर शहर चला जाता है. ज़िल्लत भरा जीवन और ठोकरें खाने के बाद जब वह गांव वापस आता है तो वह अपने गांव की काया पलट कर देना चाहता है, और तो और उसके गांववालों की आशाऐं भी बिल्लु से ही हैं. बिल्लु दिल्ली शहर से आता है तो गांव वासियों की आशाऐं भी काफ़ी बढ़ जाती हैं कि बिल्लु के आने से उनके सारे अधूरे सपने पूरे होंगें.....

मोदीजी के सपनों का सच चकल्लसपुर
बिल्लु हर पल अपने गांव और गांव वासियों की तकलीफों को लेकर सोचता रहता है, लेकिन जब एक साधारण सी बीमारी के चलते गांव के बच्चों की मौत हो जाती है तो बिल्कुल की चिंता और भी बढ़ जाती है, वह गांव वालांे को प्रेरित करता है कि खेती करो , मेहनत करो, गांव में अस्पताल बनाओ, लेकिन बिल्लु की बात को, गांववाले हंसकर उड़ा देते हैं क्योंकि दो साल से बारीश नहीं हुई और सिंचाई के लिए पानी का कोई भी साधन नही है...

बिल्लु अपने अथक प्रयासों से खेती करने की सोचता है तो सरकारी अनुदान के लिए भी बहुत भाग-दौड़ करता है. आखिर उसे एक किसान अपने खेत के खेती करने में बिल्लु का सहयोग करता है. बिल्लु के सपने सच होते नज़र आते हैं. लेकिन सरकारी अनुदान के लिए भागते भागते बिल्लु टूट जाता है, ऊपर किसी किसी पर साहूकार का कर्ज का बोझा, अंत में किसान आत्म हत्या कर लेता है. पूरी तरह से टूट चुके बिल्लु को आशा की किरण नज़र आती है, तब.....जब वह रेडियों पर सुनता है देश के प्रधानमंत्री की मन की बात... वह प्रधानमंत्री कार्यालय तक अपनी अवाज़ एक साधारण ससे पत्र के जरिए पहुंचाता है.... प्रधानमंत्री अचानक दी बिल्लु के गांव चकल्लसपुर का दौरा करते हैं और फिर पूरी होती है सभी गांव वालों की ‘‘मन की बात‘‘

युवा लेखक -निर्देशक की खूबसूरत मन की बात ‘‘चकल्लसपुर‘‘
युवा निदेर्शक रजनीश जयसवाल दिल्ली विश्व विद्यालय से फिल्म निर्माण में डिप्लोमा हासिल करने के के बाद माने माने निर्देशक प्रकाश झा के साथ लगातार कई बरसों तक सहायक रहे. चकल्लसपुर उनकी सोच, गहरी समझ तथा फिल्म लेखनक निर्देशक की बारियों को परदे पर उतारने का सफल प्रयास है. ये फिल्म वास्तिविकता से एकदम करीब है. चकल्लसपुर परदे पर देखते समय किसी फिल्म का नही बल्कि वास्तिविकाता आभास होता है.

फिल्म का नायक बिल्लु की भूमिका में मुकेश नायक उत्तर प्रदेश के बरेली के रहने वाले हैं और बरसों से स्टेज से जुड़े रहे. चकल्लसपुर उनके अलावा मुकेश ने सात उचक्के, मानसून शूट आऊट जैसी फिल्मो में भी काम किया है. फिल्म की नायिका के रूप में उर्मिला महन्त असम की लोकप्रिय अभिनेत्री है और उसे राष्ट्रीय पुरूकसार भी मिल चुका है. फिल्म चकल्लसपुर की शूटिंग बिहार के मुज्जफरपुर में हंुई है. इसके छायकार कौशिक मण्डल हैं. संगीतकार हैं- परवेज़ मलिक तथा गीतकार हैं राम गौतम और प्रकाश धरमल.

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