केंद्र और राज्य सरकारों से सावित्रीबाई फुले की जयंती राष्ट्रीय स्तर पर समारोह पूर्वक मनाने की मांग: दयानंद वत्स


नेशनल एजुकेशनल मीडिया नेटवर्क एवं अखिल भारतीय स्वतंत्र पत्रकार एवं लेखक संघ के संयुक्त तत्वावधान में आज संघ के राष्ट्रीय महासचिव, गांधीवादी विचारक एवं चिंतक शिक्षाविद् दयानंद वत्स की अध्यक्षता में संघ के उत्तर पश्चिम दिल्ली के रोहिणी सेक्टर- 36 स्थित मुख्यालय बरवाला में भारत की महान समाज सुधारिका ओर देश की प्रथम महिला शिक्षिका स्वर्गीया सावित्रीबाई फुले की 187 वीं जन्म जयंती सादगी ओर श्रद्धा पूर्वक राष्ट्रीय महिला चेतना दिवस के रुप में मनाई गई।

श्री दयानंद वत्स ने सावित्रीबाई फुले के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें कृतज्ञ राष्ट्र की और से अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की । अपने संबोधन में श्री वत्स ने कहा कि सावित्रीबाई फुले ने विषम परिस्थितियों में महिलाओं की शिक्षा के लिए देश का प्रथम स्कूल खोला ओर महिलाओं की शिक्षा के लिए प्रथम शिक्षिका के दायित्व को भी वहन किया। तत्कालीन सामाजिक परिवेश में स्त्री शिक्षा की बात करना भी असंभव था जिसे सावित्रीबाई फुले ने समाज के विरोध ओर तिरस्कार के बावजूद संभव कर दिखाया। एक समाज सुधारिका के रुप में सावित्रीबाई फुले ने महिलाओं की मुक्ति, विधवा विवाह ओर स्त्री शिक्षा के लिए आजीवन संघर्ष किया। उनके पति महान समान सुधारक महात्मा ज्योतिबा फुले ने भी उन्हें इस पुनीत कार्य के लिए प्रोत्साहित किया। श्री वत्स ने कहा कि सावित्रीबाई फुले ने अस्पृश्यता उन्मूलन जैसा महान कार्य भी किया। लेकिन इस दम्पत्ति को उनके समाज के प्रति किए गए अविस्मरणीय योगदान के बावजूद राष्ट्रीय पहचान और सम्मान नहीं मिला। महिलाओं के सशक्तिकरण में लगी महिलाओं को ही नहीं पता कि आज वे जो कुछ भी हैं उसका पूरा श्रेय सावित्रीबाई फुले को जाता है। नारी स्वतंत्रता और उसकी अस्मिता को समाज में स्थापित करने वाली सावित्रीबाई फुले ने खुद कितना अपमान सहा और समाज के विरोध के बावजूद महिलाओं की शिक्षा और मुक्ति के लिए अपना जीवन होम कर दिया। श्री दयानंद वत्स ने केंद्र और सभी राज्य सरकारों से सावित्रीबाई फुले की जयंती को समारोह पूर्वक मनाने की अपील की है ताकि भारत की इस महान स्त्री के जीवन से लोग प्रेरणा ग्रहण कर सकें।

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